Monday, November 14, 2011

भेड़ बकरियों के सर पे priority banking

                          कुछ  महीने  पहले की बात है , मैं बैंक गया था , AXIS BANK , कुछ पैसे डलवाने थे खाते में ....लम्बी लाइन लगी थी . सुबह के समय भीड़ हो ही जाती है ,सभी धैर्य पूर्वक अपनी बारी का इंतज़ार कर रह थे ....तभी एक श्रीमान जी आये ....उनके गले में axis  बैंक का पट्टा पड़ा हुआ था सो मैं समझ गया की बैंक के ही कर्मचारी हैं ......वो सबसे आगे आ कर खिड़की से नोटों का एक बड़ा सा बण्डल पकडाने लगे ....मैंने कहा भाई साहब मैं क्या आपको शकल से बेवक़ूफ़ लगता हूँ .....वो एकदम सकपका गया ....क्या हुआ भाई साहब ........नहीं आप ये बताओ की क्या मैं बेवक़ूफ़ हूँ जो इतनी देर से लाइन में खड़ा हूँ ....और आप आये और सबसे आगे पहुँच गए .....जनाब मैं बैंक का स्टाफ हूँ ......हुज़ूर आप चाहे जो हों , पर लाइन में आइये .......वो बोले कोई priority  customer है ....मैं बोला साहब priority  customer  है तो आपके लिए है .....कोई बहुत बड़ा करोड़ पति , अरब पति आपका ग्राहक है , आप उसे special  treatment  देना चाहते हैं , ये बड़ी अच्छी बात है ....वो इतना अमीर आदमी क्यों हम लोगों की तरह , भेड़ बकरियों की तरह यहाँ लाइन में खडा होगा ....आप उसे वहाँ AC  में बैठाइए ,  मसनद लगा के , 4  आदमी उसे पंखा झलें जैसे शाहजहाँ को झलती थीं दासियाँ , जब वो तख्ते ताउस पे बैठता था .......मेनेजर साहेब उसके पैरों की मालिश करें .......बादाम रोगन से ........आप सब उसकी चाकरी कीजिये ......पर भैया मुझसे क्यों करा रहे हो यार .......मेरे सर पे चढ़ के क्यों ऐश करेगा वो ..........पहले वो लड़की सारा काम रोक के उसके पैसे जमा करेगी तब तक मैं खड़ा रहूँगा ......इतना महत्त्वपूर्ण आदमी है , तो उसके लिए अलग से काउंटर खोल   लो यार ....आम आदमी के सर पे बैठा के उसे priority  customer  मत बनाओ ..... अब ऐसे मुद्दों पर ,  सार्वजनिक स्थलों पर जब मैं जिहाद करता हूँ तो ज़रा जोर जोर से बोलता हूँ , अगल बगल खड़े लोगों को उकसाता हूँ ...........उनसे संवाद स्थापित करता हूँ और तुरंत एक ग्रुप बन जाता है ...सभी जोर जोर से बोलने लगते हैं और मैनेजमेंट के लिए बड़ी असहज स्थिति बन जाती है .........खैर जब वहाँ scene  create  हो गया तो तुरंत मेनेजर अपने केबिन से उठ के आया .....उसने मुझे 25  बार सर सर कहा और बोला सर आप मुझे दीजिये मैं आपके पैसे जमा करवा देता हूँ ....मैं फिर उसके सर पे सवार हो गया ....अबे यही तो मुद्दा है ........मेरे काम तू फिर पीछे से करवा देगा ....ये जो बाकी खड़े हैं ये बेवक़ूफ़ हैं  ???????  इस queue  का मतलब क्या है  ??????  भारत का आम आदमी तो बेचारा है न ...निरीह है न .......यूँ ही सड़क पे धक्के खाने के लिए पैदा हुआ है न .......उसे priority  कब मिलेगी   ????? आम आदमी को पीछे धकेल  कर ख़ास आदमी को आगे खडा करना बंद करो........हम आम लोगों का हिस्सा ये रसूख वाले कब तक खायेंगे .....इतनी भीड़ है तुम्हारे बैंक में ....एक और काउंटर शुरू क्यों नहीं करते ........ खूब बवाल कटा उस दिन बैंक में ......पब्लिक कुछ देर चिल्लाई .....फिर सब शांत हो गए ....... 
                                     आज फिर एक बैंक में गया था .....तीन चार लोग खड़े थे लाइन में मुझसे आगे  ....आज फिर वही सब कुछ दोहराया गया .....मैं चुपचाप देखता रहा .....सब भेड़ बकरियों की तरह खड़े रहे .......कोई कुछ नहीं बोला ....किसी ने आवाज़ नहीं उठायी ......... मैं भी कुछ जल्दी में था .....एक बार बोलने भी लगा था ....फिर खुद को रोक लिया .........अपनी बारी आने तक इंतज़ार किया , पैसे जमा कराये और आ गया .......तब से अब तक यही सोच रहा हूँ .......हम हिन्दुस्तानी क्यों चुपचाप सब सह रहे हैं ....क्यों नहीं लड़ते सच्ची बात के लिए ......अपने हक़ के लिए .........क्या हम सचमुच गुलाम कौम हैं ?????????   क्या कोई दिन आएगा , जब उठ खड़ा होगा हिन्दुस्तान , अपने साथ होने वाली इन नाइंसाफियों के खिलाफ ...........








     

5 comments:

  1. अब ऐसे मुद्दों पर , सार्वजनिक स्थलों पर जब मैं जिहाद करता हूँ तो ज़रा जोर जोर से बोलता हूँ , अगल बगल खड़े लोगों को उकसाता हूँ ...........उनसे संवाद स्थापित करता हूँ और तुरंत एक ग्रुप बन जाता है ...सभी जोर जोर से बोलने लगते हैं और मैनेजमेंट के लिए बड़ी असहज स्थिति बन जाती है

    hahaha...zabardast hai ye, iska ek doosra pehloo bhi hai lekin, main keht hun thodi der mein

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  2. बुरी आदते धीरे धीरे ही जाती है ...

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  3. एक क्रन्तिकारी ने लिखा है.."आवाज उठाने वोलों की नस्लें तो मुग़ल और इंग्लिश काल में मार दी गयीं.....बहुत ही कम बचे....अभी ज्यादा वोही हैं जो दरवाजे बंद कर सो गए...नस्ल ही बदल ली...भाग गए....अथवा...सरकारी गुलाम बन गए सदा के लिए....उन्ही की नस्ले आज बहुतायत में हैं और राज भी कर रही हैं..."

    फिर भी आप अपना काम करते रहिये...आवाज उठाते रहिये...नदी का रुख न सही, लहर तो बदल ही सकते हैं....

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  4. Sirji apne mera pichle post par comment nahi padha koyi reaction nahi aya apka.
    Waise sahi baat kahi hai apne maine naya naya account khulwaya friday account toh khul gaya 1ghante mein woh bhi sirf isliye ki mere pita sath mein the aur woh bhi apni army dress mein shayad isliye ho gya uske baad mere pita chale gaye bahar us din mujhe passbook aur ATM PIN nahi le paya Pitaji ko jana tha isliye jaldi aana pada phir shanivaar ko gya us din phir ek kaam hi hua passbook mila woh bhi 2ghante khade rehne ke baad itni bhid thi ATM PIN nahi mila kyunki jin janab ko dena tha woh gayab the unko kuch kaam tha isliye gayab ho gaye aj gya subah phir nahi mile jana phir 3 baje gya phir gayab magar is baar toh maine socha ki ab toh mile bina jaunga nahi jab bhi aata hu sunta hu 30minute mein aa jayneg toh maine socha ruk hi jau tab jake 4:30 mein mila kahi.
    aur sabse badi dikat in Bank walo ko sirf 5 din kaam karna hai mahine mein uske baad Bharat mein toh Har mahine koyi na koyi Festival hota hi hai uski chuti alag chayie in bank walo ko

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  5. sorry janmejaya ji ....aapka ye comment na jaane kaise spam me chala gaya ...aaj yun hi khol li spam ...ab ise main line pe laaya hoon ......sabka ek ilaaj .....halla bol ...muh khol ...halla bol

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