Tuesday, February 7, 2012

राष्ट्रीय दामाद रॉबर्ट वढेरा ने लार चुआई ....रसगुल्ला देख के

                                                        रसगुल्ले को देख के आपकी जुबां कितना भी ना ना कहे , पर कमबख्त   ज़रा सी चूक हुई नहीं कि वही जुबां धोखा दे जाती है और सारी पोल खोल के रख देती है ........कभी न कभी तो लार टपक ही जाती है ....कल वहाँ UP में यही हो गया .....अपने दामाद जी हैं न .......अरे वही राबर्ट वढेरा जी .........हमारे राष्ट्रीय दामाद .......कल उनकी लार टपक गयी ......उनके मुह से निकल गया ......अगर कार्य कर्ता चाहेंगे तो वो चुनाव अवश्य लड़ेंगे   ......अब बिटिया रानी और युवराज सफाई देते घूम रहे हैं ......नहीं नहीं जीजा जी चुनाव नहीं लड़ेंगे ..........उन्हें तो राजनीति से सख्त नफरत है .....जैसे हमारे पापा को थी ......जैसे हमारी मम्मी को थी ......जैसे मै राजनीती को नफरत करता हूँ  ...वैसे ही बहना भी राजनीती से नफरत करती है ....और जीजा जी .....oh  no  ....you know , he hates राजनीति ......... उधर बिटिया ने दामाद जी को हडकाया .......ROBERT ...... no  ........i  said  ....no  ....stop  it  ....stay  back  ......फिर खीसें निपोरते हुए कहा ......नहीं नहीं , इनको डॉक्टर ने मना किया है ..........इन्हें तो वैसे भी पसंद नहीं हैं .........रसगुल्ले .....सो दामाद जी बोले ....daarling  i  can  have  one  or  two  ....मुझे कौन सी diabatese  है ..........उधर   राज माता भी सुनते हैं बहुत नाराज़ हैं .....वो तो दामाद को शुरू से ही पसंद नहीं करती थीं ..........ये क्या ढूंढ लिया तुमने ....बन्दर सा ......ऊपर से नाम भी क्या है ...वढेरा .....करता क्या है .........कहाँ का है .....जब बिटिया ने बताया की मुरादाबाद का है और पीतल के बर्तन बेचता है तो बगल में खड़े थे अपने अमेठी वाले संजय सिंह .......अरे ठठेरा है क्या ....सो रानी साहिबा को न दामाद पसंद आया न उसका नाम और काम धाम ..............पर बिटिया तो इश्क में अंधी हो गयी थी सो उसने बगावत कर दी ....सो बाद में किसी तरह समझौता हुआ  ......पहले तो इसका नाम बदल दो फिर इससे बोलो भाई बाप खून खानदान को छोड़ना पड़ेगा ......काम धंदा इसका बंद करो ......और हाँ इस से वादा लो कि ये राजनीति में नहीं आएगा ...........सो नाम हो गया  Robert Vadra  ...पहले मुरादाबाद में बर्तन बेचता था अब पता नहीं क्या बेचता है ( बकौल सुब्रमण्यम स्वामी देश ( spectrum  ) बेचता है ........उनका तो कहना है कि चिदम्बरम को निमटाने  के बाद अगला नंबर दामाद जी का ही है ) .........पर पिछले दिनों दामाद जी की जुबां फिसल ही गयी .
                                      अब बिटिया रानी सफाई दे रही हैं ....न तो भैया को परधान मनतरी  बनने का शौक है  न मुझे .....न मेरे पति देव को .....मम्मी तो पहले ही ठुकरा चुकी हैं .....जबकि सारी दुनिया जानती है .......बहुत पहले गयीं थी माता जी ....वहाँ राष्ट्रपति भवन ........न्योता मांगने ......उनका वो वाक्य बड़ा popular  हुआ था ....we  have  272  and  more  are  coming  ........पर इस नामुराद अमर सिंघवा और मुलायम सिंघवा ने एन मौके पर भांजी मार दी .....कमबख्तों ने समर्थन देने से मना कर दिया ........मम्मी का सपना धरा रह गया ..........फिर जब 2004  में .एक बार दुबारा मौका मिला .....मम्मी तो पहुँच गयी थी राष्ट्रपति भवन ......300  सांसदों का समर्थन पत्र ले के .......पर पीछे पीछे  सुब्रमण्यम स्वामी पहुँच गए ......citizenship  act 1995  का principle of reciprocity ले के .......और कलाम साहब को समझा आये की कैसे कैसे और क्यों क्यों नहीं बन सकती सोनिया गाँधी PM ........ फिर बोले .......बेटा दिलाओ शपथ ........ तुम साले शपथ दिलाओ और अपुन चले सुप्रीम कोर्ट ....... कलाम साहब के हाथ पाँव फूल गए ......उन्होंने बुलवाया नटवर सिंह को ....सारी बात बताई .......तब फिर अम्मा ने बलिदान का नाटक कर दिया .....अब क्या करें ....लौंडा तो तब तक एकदम घोंचू था .......उसे तो जूजी पकड़ के मूतना तक नहीं आता था , सो ऐसा आदमी ढूँढा जो एकदम काठ का उल्लू हो ....तब तक कुर्सी गरम रख सके जब तक युवराज नेकर न पहनने लगें ...........सो अपने मनमोहन सिंह की ताजपोशी हुई .......पर युवराज ऐसे slow  learner  है की अब भी कभी कभी  बिस्तर गीला कर देते हैं ...... हमारे यहाँ UP  में तो आम आदमी भी कह देता है ....ई सरवा त भोंदू हौ ......हाँ लडकिय बड़ी तेज हउए   ....एकदम इंदिरा गांधी लगैले ....... नेता कार्यकर्ता भी प्रियंका को ही पसंद करते हैं .....पर क्या करें , हिन्दुस्तान में तो माँ बाप की विरासत बेटा ही सम्हालता है ....कितना ही निकम्मा क्यों न हो ..........सोनिया गांधी के किले में रोबेर्ट वढेरा ही सबसे कमजोर कड़ी है .....जैसे नेहरु के किले में फ़िरोज़ खान  थे .........( फ़िरोज़ खान को बापू ने नेहरु की सलाह पर शादी से एन पहले गोद ले के फ़िरोज़ खान गाँधी बना दिया और इंदिरा गांधी , इंदिरा नेहरु से इंदिरा खान बनते बनते इंदिरा गांधी बन गयी ......और ये परिवार आज तक गांधी बना , देश को चूतिया बना रहा है ) . अब राबर्ट वढेरा ने सारे किये धरे पर पानी फेर दिया है .....कल को कहीं कार्य कर्ता लोग नारे लगाने लग पड़े कि   ...देश का नेता कैसा हो ......राबर्ट वढेरा जैसा हो .........तब दिग्विजय सिंह क्या कहेंगे ....यही न ...कि  राम देव की साज़िश है ....ये राबर्ट वढेरा की जय बोलने वाले सब उनके ही लोग हैं ........











3 comments:

  1. हा ....हा ..हा ...हा... मजा आगया अजित जी दामाद जी की
    अच्ही खिंचाई की है आपने .और कलाम साहब को समझा आये की कैसे कैसे और क्यों क्यों नहीं बन सकती सोनिया गाँधी PM ........ फिर बोले .......बेटा दिलाओ शपथ ........ तुम साले शपथ दिलाओ और अपुन चले सुप्रीम कोर्ट ....... कलाम साहब के हाथ पाँव फूल गए ......उन्होंने बुलवाया नटवर सिंह को ....सारी बात बताई .......तब फिर अम्मा ने बलिदान का नाटक कर दिया .....अब क्या करें ....लौंडा तो तब तक एकदम घोंचू था .......उसे तो जूजी पकड़ के मूतना तक नहीं आता था

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  2. कोंग्रेसी एक नम्बर के बेशर्म झूठे और मक्कार है !इनके पास कोई तर्कसंगत जवाब नहीं होता है, केवल मक्कारी है !

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  3. हा हा हा हा , बहुत खूब लिखा है , अजित भाई :)

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