कल सुषमा स्वराज ईरान में थीं ।
क्या करने गयी थीं ईरान । यदि पिछले दो साल का मीडिया और विपक्ष का rhetoric यदि आप follow करें तो आपको लगेगा कि मोदी जी और उनके मंत्री सब बिदेस घूम घूम के मौज ले रहे हैं । अफज़ल गैंग ने तो बाकायदा नारा ही दे दिया ........ मोदी जी कुछ दिन तो गुजारो भारत में ........
इसके अलावा अफज़ल gang मोदी की आलोचना उनके कपड़ों को ले के करता है । कौन सा सूट पहना ? कितने का था ? घडी कौन सी थी ? कलम कौन सी थी । कितने की थी ???????
अफज़ल गैंग इस बात की पड़ताल नहीं करता कि उस pen से मोदी ने किस किस देश में सामरिक , कूटनीतिक और व्यापारिक वाणिज्य महत्त्व के किस किस समझौते पे हस्ताक्षर किये ।
कल सुषमा स्वराज ईरान में थी । अफज़ल गैंग कल दिन भर main stream मीडिया और सोशल मीडिया में यही चर्चा करता रहा कि सुषमा जब ईरानी राष्ट्रपति और खमैनी से मिलने गयी तो क्या पहना था , सर पे पल्लू क्यों लिया था ?????? साडी का सीधा पल्ला क्यों लिया .........
किसी ने इसपे चर्चा नहीं की कि भारत का विदेश मंत्री ईरान क्या करने गया था ?
आइये हम राष्ट्रवादी अब इसपे चर्चा कर लें कि सुषमा स्वराज क्या करने ईरान गयी थीं ।
कल भारत ईरान और अफगानिस्तान के बीच ईरान में सामरिक और व्यापारिक महत्त्व के Chabahar port समझौते पे अंतिम सहमति बन गयी ।
इस से पहले अफगानिस्तान से व्यापार करने के लिए भारत को पकिस्तान के कराची पोर्ट में उतरने के बाद पाकिस्तानी सड़कों से होते हुए अफगानिस्तान जाना पड़ता था । इसकी इजाज़त पाकिस्तान देता नहीं था । ईरान के साथ Chabahar Port समझौता हो जाने से अब भारत के ships पाकिस्तान को byepass करते हुए सीधे Chabahar port जाएंगे और वहाँ से भारतीय माल by road सीधे Garland Highway पकड़ के हेरात , कंधार , काबुल और मज़ारे शरीफ पहुँच जाएगा ।
इस chabahar port समझौते की नीव सन् 2003 में अटल जी ने रखी थी पर 2004 में UPA govt ढीली पड़ गयी और कुछ अमेरिकी दबाव और कुछ भारतीय मुसलमान के तुष्टिकरण में उसने इस समझौते पे ढुलमुल रवैया अपनाया । हालांकि 2009 तक भारतीय सहयोग से Garland Highway बना दिया गया था । अब भारत Chabahar Port पे उतर के इसी सड़क से सीधे अफगानिस्तान में घुस जाएगा ।
इस समझौते का ये सिर्फ व्यापारिक महत्त्व भर नहीं है । आइये अब ज़रा इसके सामरिक महत्त्व की चर्चा करें ......... अफगानिस्तान ये मानता है कि पाकिस्तान ने उसे पिछले 20 साल में बर्बाद कर दिया । अब जबकि अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण हो रहा है और अमेरिकी सेनाएं लौट रही हैं तो इस पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में वहाँ की सरकार और समाज भारत को हिस्सेदारी दे रहा है और पकिस्तान को पास नहीं फटकने दे रहा । पाकिस्तान को अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति खटकती है । इसलिए वो वहाँ की आवाजाही में हमेशा रोड़े अटकाता है । अब Chabahar agreement के बाद भारत बेहिचक बेखटके बेरोकटोक अफगानिस्तान आ जा सकता है ।
आप ज़रा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नक़्शे पे गौर कीजिये । अफगानिस्तान से सटा हुआ बलूचिस्तान है जो की एक स्वतंत्र राष्ट्र था ........ जो कि ब्रिटिश राज से पकिस्तान से 2 दिन पहले ही आज़ाद हो एक सम्प्रभु राष्ट्र बन गया था पर बाद में उसपे पाकिस्तान ने बलात् कब्जा कर लिया ।
बलोच तब से आज तक पकिस्तान से अपनी आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे है । पूरे बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना बलूच विद्रोहियों का बर्बर दमन कर रही है । इस बीच प्राकृतिक संसाधनों से अत्यधिक संपन्न बलूचिस्तान के बीचोबीच पाकिस्तानी सरकार ने चीन के साथ समझौता कर Gawadar Port और Gawadar economic corridor विकसित किया है जिसका एकमात्र लक्ष्य बलूच सम्पदा का दोहन और बलूच जनता का दमन है । इन परिस्थितियों में भारत ने पकिस्तान की छाती पे चढ़ के Gawadar port से सिर्फ 72 km दूर Chabahar port समझौता कर चीन और पकिस्तान की नींद उड़ा दी है ...........
ज़रा कल्पना कीजिये ......... भारत से एक विशालकाय ship हज़ारों containers में गेहूं लाद के Chabahar port पे उतरा और फिर वो containers by road काबुल कंधार पहुँच गए । अब उन containers में गेहूं के साथ भर के अजीत डोभाल ने क्या क्या भेजा है कौन जानता है ? और वो सब सामान चुपके से कब बलूचिस्तान पहुँच जाएगा कौन जानता है ? और उस सामान से बलूच विद्रोही Gawadar corridor से गुजरने वाले Chinese व्यापारिक काफिलों और पाकिस्तानी सेना के साथ क्या क्या करेंगे कौन जानता है ?
मित्रो ........ Chabahar Port इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा ........ वो दिन दूर नहीं जब बलूच कश्मीरी सेव खाने लगेंगे .......
मित्रों ........ अफज़ल गिरोह को ये बता दीजिये कि मोदी और उनके मंत्री सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी जब किसी विदेश यात्रा पे जाते हैं तो weekend पे party करने नहीं जाते ।
उनकी एक एक यात्रा चीन और पाकिस्तान की नींद हराम करने के लिए होती हैं ।
सुबह से इन्तजार था कब आप इस पहनाबे को लेकर् उठे मसले पर लिखेगे... बहुत बहुत धन्यवाद सर सारी शिकायतें दूर कर दी.
ReplyDeleteवाकई शानदार तुलनात्मक अध्ययन एवं विश्लेषण।
ReplyDeleteसाधुवाद।।।
सुबह से इन्तजार था कब आप इस पहनाबे को लेकर् उठे मसले पर लिखेगे... बहुत बहुत धन्यवाद सर सारी शिकायतें दूर कर दी.
ReplyDelete👍
ReplyDelete👍
ReplyDeletehttp://mot.epfl.ch/files/content/sites/mot/files/pictures/splash/map_china_india.gif
ReplyDelete👍
ReplyDelete👍
ReplyDeleteइन अफजल गैंग को इस सबसे कुछ लेना देना नही
ReplyDelete��
ReplyDelete��
����Great!
��
इन अफजल गैंग को इस सबसे कुछ लेना देना नही
ReplyDeleteBht saarthak lekh
ReplyDeleteये सूअर लोग अपनी राजनितिक रोटियां सेक के मोदीजी और उनकी जुझारू सेना को जनता के बीच में बदनाम करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं l
ReplyDeleteवाह सटीक विश्लेषण
ReplyDeleteप्रतिघात ही सबसे उत्तम ढाल होती है ।
ReplyDeleteजय महाकाल
प्रतिघात ही सबसे उत्तम ढाल होती है ।
ReplyDeleteजय महाकाल
सटीक
ReplyDeleteAjit ji ek baat aur gaur karna ki sushma ji ne Iran main Jo dress pehni usaka kootnitik sanket bharat Ke shiya Muslims ko kafi achha gaya hai. Sunniyon ko alag thlag karna hai. Vishesh in congresi deobandiyon ko.
ReplyDeleteAjit ji ek baat aur gaur karna ki sushma ji ne Iran main Jo dress pehni usaka kootnitik sanket bharat Ke shiya Muslims ko kafi achha gaya hai. Sunniyon ko alag thlag karna hai. Vishesh in congresi deobandiyon ko.
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20 -04-2016) को "सूखा लोगों द्वारा ही पैदा किया गया?" (चर्चा अंक-2318) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ददा अपनी वोल पर डालो दोनो लेख।
ReplyDeleteददा अपनी वोल पर डालो दोनो लेख।
ReplyDeleteताकि अफजल गेंग पढ सके
ReplyDeleteताकि अफजल गेंग पढ सके
ReplyDelete