Monday, December 31, 2012

बहुत कांटे हैं ....कृपया जूते पहन लें .......अथ रेप पुराण ....भाग 3

                                                           जब से  बादल साहब ने नयी सरकार सम्हाली है .....खाली पड़े सरकारी खजाने को भरने के लिए ताबड़ तोड़ वसूली ज़ारी है ........जहां से भी हो सके पैसे वसूलने का आदेश है ....ट्रैफिक पुलिस भी सख्ती से चालान कर रही है .......अब किसे अच्छा लगता है इतना भारी  हेलमेट पहनना . हम लोग तो  फिर भी समझते हैं , पर बच्चे कहाँ समझते हैं ..........अब उन्हें समझाओ की बेटा तुम्हारी सुरक्षा  के लिए ज़रूरी है  हेलमेट पहनना ...........अब वो उलटे सीधे तर्क देते हैं .....मैंने अपने बेटे को समझाया .....बेटा  किसी दिन उलट जाओगे तो पता चलेगा ........अरे वाह वाह ....कैसे उलट जाऊंगा ....मैं बहुत सम्हाल के bike चलाता हूँ ...अरे कितना भी सम्हाल के बाइक चलाओ  , पर दुर्घटना तो कभी भी हो सकती है .......सड़क पे गड्ढा आ सकता है ....सामने से कोई कुत्ता या जानवर आ सकता है .......अचानक ब्रेक मारने से टायर स्लिप कर सकता है ....या सामने से कोई टक्कर भी मार सकता है ..........क्यों गड्ढा क्यों होना चाहिए सड़क पे .........ये तो सरकार की नाकामयाबी है ....रोड टैक्स देता हूँ मैं ....सड़क अगर टूटती है तो ये सरकार की गलती है ....अब नाकामयाबी तुम्हारी और हेलमेट मैं पहनू ....ये गलत रवैया है .........तुम अपनी सड़क ठीक करो ....मैं  हेलमेट नहीं पहनूंगा .......सड़क पे लावारिस कुत्ता या जानवर सरकार क्यों घूमने देती है .....once again सरकार का failure है .....मैं क्यों हेलमेट पहनू ...........ब्रेक मारने पे अगर बाइक स्लिप कर गयी तो ये बाइक बनाने वाली कंपनी का failure है ........मैं क्यों हेलमेट पहनूं ? अगर कोई मुझे सामने से टक्कर मार दे तो ये भी उसकी गलती है ....सरकार की गलती है .....क्यों ऐसे आदमी को driving license दिया ..........मैं क्यों हेलमेट पहनूं ......21 वीं सदी  है ...we are a democratic country ........मुझे पूरा हक है बिना हेलमेट के bike चलाने का .......... मझे अपनी स्वतंत्रता बहुत प्यारी है .......ऐसे चूतिया किस्म के तर्क देता है मेरा बेटा .......मैंने उसे समझाया , बेटा .........तुम एक ऐसे गंदे और घटिया मुल्क में रह रहे हो जहां सडकें कभी ठीक नहीं होंगी ...........सड़क पे लावारिस कुत्ते यूँ ही घूमते  रहेंगे ...........रोजाना एक्सीडेंट होते हैं और होते रहेंगे .........स्साले  जिस दिन उलट  जाओगे , खोपडा खुल जाएगा , ............ ये जो तुम्हारा दर्शन  शास्त्र है न , की दुनिया सुधरे , मैं क्यों सुधरू  ......इस पे  वहाँ ICU में लेटे लेटे  विचार करना ........बेटा  सुधर जाओ ........ये दुनिया नहीं सुधरेगी ....सुधरना तो तुम्हे ही पड़ेगा .........सड़क के ये गड्ढे कभी नहीं भरेंगे .....हेलमेट लगाना  शुरू कर दो .......

Photo: तेरी नजर में खोट है , मेरे कपडो मे नहि
 निगाह तेरी गन्दी ....कपडे मैं बदलूँ  ????????
मेरी पीठ तेरी सोच से ज्यादा खुली है
मेरी सोच मेरी स्कर्ट से ज्यादा ऊंची है

मोहतरमा ..........हम अपनी सोच बदलने की कोशिश कर रहे हैं ....पर थोडा टाइम लगेगा ........प्लीज , तब तक कुछ पहन लीजिये ..............
आप सारी दुनिया के कांटे नही चुन सकते ......इसलिए कृपया जूते पहन लें .











धारा 144 लागू है ....रोना मना है

                                  जब  अमेरिका का राष्ट्रपति भारत आता है , official  visit पे , तो क्या प्राइम मिनिस्टर या सोनिया गाँधी उसे रिसीव करने एयर पोर्ट पे जाते हैं  ? शायद नहीं . दो चार सीनियर मंत्री चले जाते हैं . एक बार बाबा रामदेव से मिलने 4 मंत्री चले गए थे एयर पोर्ट ........तब भी बड़ा बवाल मच था . कल सुना है मौन मोहन सिंह और राज माता दोनों ......अल्ल स्स्सुबह .......साढ़े  तीन बजे  .....घने कोहरे में .......इतनी सर्दी में ........बिना किसी सिक्यूरिटी और प्रोटोकोल के ......एअरपोर्ट पहुंचे हुए थे .........सांत्वना देने और शोक प्रकट करने .............साढ़े  चार बजे उस लड़की का शव घर पहुंचा ............कालोनी के चप्पे चप्पे पे पुलिस और रैपिड ऐक्शन फ़ोर्स थी ......1000 तो RAF के जवान थे ......सादी  वर्दी में भी पुलिस थी .......सुबह साढ़े  चार बजे पुलिस ने परिवार और रिश्तेदारों को एक घंटा का मौका दिया .........रोने का .....आप इस सर्दी में ....घने कोहरे में ........कभी सुबह 5 बजे घर से बाहर निकले हैं ??????  मैं निकलता हूँ रोज़ ........अपने बच्चों के साथ .......रोज़ सुबह हम जाते हैं ........स्टेडियम .........  घुप्प अँधेरे में , घने कोहरे में हाथ को हाथ नहीं सूझता ........ऐसी ही सुबह थी वो .....पुलिस फ़ोर्स ने साढ़े पांच बजे शव रवाना कर दिया .....5.45 पे वो लोग श्मशान घाट  पहुंचे ....चिता  सरकार ने पहले से तैयार कर रखी थी ........पर घुप्प अँधेरा था, और हिन्दू धर्म में रात में अंतिम संस्कार वर्जित है .......लडकी के पिता ने विरोध किया और सूर्योदय का इंतज़ार करने का आग्रह किया ............7.30 पे उस अभागिन को मुखाग्नि दी गयी और वो पञ्च तत्व में विलीन हो गयी ........फिर ........बला टली और पुलिस ने मोहल्ला खाली कर दिया .........
                                 दिल्ली में चप्पे चप्पे पे पुलिस है इन दिनों ..........धारा 144 लागू है दिल्ली में ........ मेट्रो के स्टेशन बंद हैं .......धरना प्रदर्शन पे पाबंदी है ....शव यात्रा में जाना मना  है .........रोना मना  है ...........बच्चे को जब भूख लगती है या दर्द होता है तो वो रोता है .........मुह पे टेप चिपका के उसकी आवाज़ को दबाया तो जा सकता है पर उसे रोने और चीखने से रोका  नहीं जा सकता ........इस माहौल से इमरजेंसी की बू आती है .......मेरे दिलो दिमाग में धारा 144 लागू है ....रोना मना  है












Sunday, December 30, 2012

अथ रेप पुराण ......भाग 2.......पटियाला का सच

                                      यहाँ  पटियाला में एक नया बवाल शुरू हो गया है ......एक लड़की के साथ महीना भर पहले तथा कथित गैंग रेप हो गया था .........पिछले हफ्ते उसने आत्म ह्त्या कर ली .........दिल्ली के बवाल देख के पंजाब की डरी हुई सरकार ने तुरंत कार्यवाही करते हुए चौकी इंचार्ज को डिसमिस कर दिया , SHO को ससपेंड कर दिया ........ एक उच्च स्तरीय जांच कमीशन बैठा दिया है .......तथा कथित रेपिस्ट और उनकी एक रिश्तेदार औरत जेल में बंद हैं .........लड़की की बहन गुलशन कौर ने मांग की है कि बलात्कारियों को फांसी पे लटकाओ ........
                                   अब लीजिये अन्दर की स्टोरी सुन लीजिये .......लड़की का अफेयर लड़के ( मुख्य अभियुक्त ) के साथ लम्बे समय से चल रहा था .......एक शाम वो नज़दीक के ही एक  tube well पे उस से मिलने चली गयी .......  गावों में ऐसे tube well ही एकमात्र सुरक्षित स्थान होते हैं जहां प्रेमी युगल मिल सकते है .....ये एक आम बात है .......लड़की ने गलती ये कर दी कि  आज उसने ज़रा ज्यादा टाइम लगा दिया .......घर वाले ढूँढने लग गए .......लड़की 9 बजे घर आयी .......अब उसने अपने घर वालों को जो भी बताया हो ........ घर वालों ने शोर मचाया कि  रेप हुआ है [ ( वरना हमारी लड़की तो बहुत शरीफ है ) और आप तो जानते ही हैं कि  हमारे बेहद शरीफ समाज में अपने दोस्त से मिलना या premarital sex एक बहुत ही घृणित कार्य है ........premarital ही नहीं ....यहाँ तो सेक्स ही बहुत नीच कर्म है .....हमारे देश में तो सदियों से बच्चे सिर्फ देख लेने भर से पैदा हो जाते हैं .......... बल्कि कुंती ने तो सिर्फ सूर्य देव का स्मरण भर कर लिया था और कर्ण उसके पेट में आ गया ]............फिर बात पंचायत में गयी .....जैसा की आम तौर पे होता है ........पंचायत ने compromise कराने की कोशिश की  .......compromise माने पैसे ले के मामला रफा दफा करो ......लड़की वाले बहुत ज्यादा पैसे मांग रहे थे ......लड़की वाले प्रेशर बनाने के लिए थाने  में चले गए ......चौकी इंचार्ज जांच के लिए गया .......जांच में उसने पाया कि  असल मामला क्या है और पंचायत चूँकि compromise पे काम कर ही रही थी इसलिए उसने कुछ दिन का मौका दिया .........भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की यही कार्य शैली रही है सदियों से .......यहाँ तक सब कुछ सामान्य था ..........फिर आखिर गड़बड़ कहाँ हुई ..........
                                  गड़बड़ ये हुई कि पूरे इलाके में घटना की चर्चा थी ........लड़की वाले बहुत ज्यादा पैसा मांग रहे थे .....इसलिए उनकी बहुत निंदा हो रही थी .......प्रेम प्रसंग में रेप का आरोप लगा के पैसे ऐंठना .....ये तो धंदा हो गया ..........ऐसी बातों के बीच लड़की को कुछ दिन के लिए नज़दीक कसबे में एक रिश्तेदारी में भेज दिया गया ........उधर पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच में पाया कि  कोई बलात्कार नहीं हुआ ........सामाजिक प्रेशर ......बदनामी ....लोक लाज .....पारिवारिक प्रताड़ना से तंग आ के लड़की ने ख़ुदकुशी कर ली ........बकौल पुलिस उसने कोई suicide note नहीं लिखा ........जब ख़ुदकुशी की तो दिल्ली का बवाल अपने चरम पे था ........मीडिया को मुद्दा मिल गया .........सरकार दिल्ली में शीला दीक्षित और मौन मोहन सिंह उर्फ़ मिस्टर "ठीक है"  सिंह की कुत्ता घसीटी देख के पहले ही डरी  हुई थी .........सो उसने  आनन फानन में चौकी इंचार्ज को डिसमिस किया ....SHO ससपेंड ......लड़के अन्दर ........दो दो IG लेवल के अधिकारी जांच कर रहे हैं ..........कि आखिर चूक कहाँ हुई ......
                               अरे चूक क्या ख़ाक हुई ........हमारा समाज ऐसे ही काम करता है ..........आम तौर पर पहले पंचायत ही मामला सलटाने की कोशिश करती है ..........पुलिस तक तो ज़्यादातर मामले पहुँचते ही नहीं .........फिर पुलिस की भी तो कार्य शैली है ....वो पहले एप्लीकेशन ले के रख लेती है ...........फिर एक ASI  जा के मौके पे जांच करता है ...........मामले की गंभीरता और तथ्यों के आधार पे आवश्यक हुआ तो FIR दर्ज कर गिरफ्तारी होती है अन्यथा दोनों पार्टियां पैसे ले दे के या यूँ ही समझौता कर लेती हैं ........उसी में पुलिस अपना चाय नाश्ते लायक पैसा ले के बैठ जाती है ...........
                             पर आजकल वहाँ दिल्ली में माहौल ज़रा गर्म है . बकौल सुपुत्र -ए -महा महिम .....dented - painted रोष प्रकटीकरण का चलन है ..........लिहाज़ा यहाँ पटियाला में भी मुजरिमों को फांसी की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है .......खुद खैर करे .........

























Wednesday, December 26, 2012

अथ रेप पुराण ......भाग 1

                                              शुरू करने से पहले एक बात साफ़ कर दूं  की इस पोस्ट को पढ़  के मुह में कड़वा सा स्वाद आ सकता  है .........पे अपना कोई इरादा नहीं इसे शुगर कोट करने का .......इसलिए हजरात अपने रिस्क पे पढ़ें .........अपनी sensibilities की हिफाज़त  खुद करें ......अपन जिम्मेवार नहीं हैं .........
                                एक लड़का सुनसान सड़क पे चला जा रहा था .....तभी कही से कोई बदमाश आ गया .......उस बेचारे को कालर से पकड़ लिया .......गालियाँ दी .....शायद एकाध झापड़ भी मारा  ......ज़बरदस्ती उसकी जेब से पर्स निकाला ....उसमे से पचास का नोट ले गया .........लड़का चुप चाप घर चला आया .......किसी से कोई ज़िक्र नहीं किया .......घर वालों को पता चला तो उन्होंने भी बात दबा दी ....कौन पुलिस के झंझट में पड़े .....खाम खा बदनामी होगी ...........चलो 50 रु की ही तो बात है .......अब इतने बड़े हिंदुस्तान में .....120 करोड़ लोगों के देश में ऐसी हज़ारों घटनाएं रोजाना होती हैं  .....पर लोग बाग़ दबा जाते हैं .........उधर लुटेरे मस्त हैं .....वो जानते हैं .......ऐश करो ....कुछ नहीं होगा ......
                         सो मसला ये है की वहाँ दिल्ली में और यहाँ टीवी पे  चिहाड़  मची है ............. लड़के लडकियां चीख रहे हैं we want justice ......फांसी पे लटका  दो .  सब लोग कह रहे हैं की बलात्कार के मुजरिमों को फांसी होनी  चाहिए .......... अब ये दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ वू वाकई बड़ा विभत्स था और निश्चित रूप से उन्हें कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए .....तालिबानी या यूँ कहें की शरियत वाला संगसार करना चाहिए ......... पर  कानून में बलात्कार के हर मुजरिम के लिए फांसी की सज़ा मुक़र्रर करना गलत होगा ......क्योंकि मैं ये मानता हूँ की रेप के जितने केस जो संज्ञान में आते है इनमे ज़्यादातर ......सब नहीं .......ज़्यादातर , फर्जी होते हैं . और जो असली रेप होते हैं वो तो खुद लड़की या उसके परिवार  द्वारा दबा दिए जाते हैं ........सिर्फ वही मामले बाहर आते हैं जो दबाने लायक नहीं होते , या जिनमे पब्लिक involve हो जाती है .......या फिर जहां पीड़ित महिला और उसके परिवार वाले असाधारण हिम्मती होते हैं और पुलिस में पहुँच जाते हैं .......अन्यथा हमारा पूरा समाज और सिस्टम मामले को दबा देने की पूरी कोशिश करता है .
                                पिछले दिनों हरियाणा में gang rapes  की बड़ी धूम रही  .......महिना दो महिना पूरा महोत्सव चला गैंग रेप का ..........अखबार और टीवी ने खूब चांदी काटी ........ फिर एक बड़े पुलिस अधिकारी ने दबी जुबां में ये सच्चाई कहने की कोशिश की कि  भैया ये मामल संदिग्ध है ......और ये कहते ही उस बेचारे पर टीवी का एंकर और महिला मोर्चा यूँ टूट पड़े जैसे बेचारे खरगोश पे कुत्ते टूट पड़ते हैं .......उस बेचारे पुलिस वाले ने और  मुख्य  मंत्री ने दुम दबा ली ......फिर वो सारे लड़के अन्दर कर दिए गए ...सामूहिक बलात्कार की संगीन धाराएं लगा कर .........जबकि सच ये है की लड़की उनमे से एक या कुछ  लड़कों को जानती थी , और  अपनी सहमती से उनके साथ मौज मस्ती कर रही थी .....जब किसी ने देख लिया , या घर वालों को पता लग गया तो मामला रेप का बना दिया गया ...........ज्यादा तर  मामलों में लड़की और उन लड़कों की कॉल डिटेल से पता लगा की लड़की उनसे लगातार संपर्क में थी .......उसने खुद उन्हें बुलाया ........पर अब जब मामला सामूहिक बलात्कार का बन ही गया तो दे दो लड़कों को फांसी .......we  want justice ........
                               एक और किस्सा है गैंग रेप का ........दिल्ली में दो विदेशी लडकियां उतरीं .....काश्मीर जाना था घूमने .....उन्हें वहाँ एक लड़का टकर गया और उसने उन्हें पटा  लिया की वो उनका पूरा इंतज़ाम होटल और गाडी वगैरा सस्ते में arrange कर देगा ........वो उन दोनों को श्रीनगर ले गया ....वहाँ उसने एक और दोस्त के साथ मिल के उन दोनों को एक सस्ते से होटल में ठहरा दिया .....एक इंडिका गाडी में लेह घुमा लाया और सवा लाख का बिल बना दिया .........इस बीच लड़कियों को ये अहसास हो गया की उन्हें तो ठग लिया गया है .....ये पूरा टूर तो 20-25 हज़ार में निपट जाता .....उन दोनों लड़कियों ने उन दोनों लड़कों को सबक सिखाने और पैसे वापस वसूलने की नीयत से अब उन दोनों को पटा लिया और दिल्ली वापस ले आयीं .........दो दिन् मौज मस्ती की .....फिर थाने  पहुँच गयी .....लो जी गैंग रेप हुआ है .....करो कार्यवाही ..........लटकाओ फांसी पे .....we want justice ......on india gate ...........उस दिन एक panelist ने दबी ज़बान में कह दिया की कुछ select मामलों में फांसी दी जा सकती है सबमे नहीं ..........और वो महिला मंडल की शेरनी उस बेचारे पे टूट पड़ी ....सेलेक्ट मामले ???????     HOW CAN U DIFFERENTAITE  TWO RAPES .......RAPE IS RAPE .
                                    दरअसल ये रेप का मामला ही बड़ा पेचीदा है .........पहला तो ये की कानून में इसकी परिभाषा ही बड़ी गलत है ......उस दिन मैं नेट पे पढ़ रहा था .....रेप की परिभाषा ........आधा चैप्टर पढ़ते पढ़ते मैं पूरी  तरह हड़क गया ......सामने बैठी धर्म पत्नी टीवी देख रही थी .......मुझे लगा की अगर आज मैं जेल में नहीं हूँ तो ये इस शरीफ औरत की दरियादिली है .......वर्ना अपन तो सारी  जिंदगी जेल में सड़ जाते ........फिर मुझे ये भी इल्हाम हुआ की चलो बेटा  आज तक तो बच  गए पर कल की क्या गारेंटी है ....न जाने कब पकडवा दे .......मारो साले को ....इसने रेप किया है ........आप रेप को कानून  में पढ़ लीजिये .....मेरा ये दावा है की अगर उसे पूरी तरह लागू कर दिया तो दस साल से ऊपर का हर लड़का जेल में ही होगा ......और अगर ये INDIA GATE  वालों की चल गयी तो फांसी पे लटक जायेगा .......ये तो हुआ इसका कानूनी पहलू .....अब इसका  सामाजिक पहलू .........दरअसल रेप के साथ  भारतीय समाज में एक बहुत  बड़ा  stigma (  इसे हिंदी में क्या लिखेंगे ?   ) जुड़ा  हुआ है . रेप से हुआ शारीरिक और मानसिक संत्रास बड़ा भयावह होता है ......पर कोई लड़की अगर इसे रिपोर्ट करती है तो जो त्रास उसे और उसके परिवार को झेलना पड़ता है वह उस ACTUAL ACT से हज़ारों गुना ज्यादा कष्टकारी होता है ..............ज़रा कल्पना कीजिये .....उस लडकी की जगह खुद को बैठा दीजिये थोड़ी देर ........आपके साथ इतनी बड़ी ज्यादती हो गयी .......किसी तरह आप गिरते पड़ते घर पहुंचे ........माँ को बताया .....माँ  तो बेचारी सुन के ही आधी मर जाएगी .......बाप को पता लगा .......हरामजादी .....तू वहाँ गयी ही क्यों थी .......कल से इसका घर से निकलना बंद करो ........लो जी स्कूल कॉलेज बंद ........भाइयों को पता लगा तो वो बेचारे तो शर्म से मर जायेंगे ..........मैं ऐसे एक परिवार को जानता हूँ जहां एक लड़की से रेप हुआ और पूरे  परिवार ने ही सोसाइटी से withdraw कर लिया ...........शहर छोड़ के चले गए .......फिर पूरे समाज की चीरती आँखें ........ताने फिकरे ........थाने  में पुलिस वाले  पहले तो आपको समझायेंगे कि  छोड़ो जाने दो । फिर  मुजरिम से पैसे ले के अपनी जेब गरम ........ अगर आप  FIR  लिखाने पे अड़ गए तो पूरा process इतना लम्बा , humiliating होता है की आपकी हिम्मत टूट जाती है ,   लड़ने की ......फिर सालों  साल लटकते मुक़दमे .......वकीलों की  जिरह .... फिर भी क्या guarantee  है कि सजा  होगी ही
                             याद है ? वो लड़का जिसका 50 का नोट लूट लिया था ......अब उसे अगर पता हो कि  इसकी FIR लिखा के उस लुटेरे को सज़ा दिलाने के चक्कर में लाखों चले जायेंगे तो वो कभी भी थाने  नहीं जायेगा  .........अगर संभव  हुआ तो मामले को दबा देगा ......कौन जानता है की जेब में पचास का नोट कम है ........यकीन मानिए सचमुच के रेप cases में ज़्यादातर लोगों की approach यही होती है ......... इसलिए ज़्यादातर मामले तो सामने  नहीं आते  ........और जो आते हैं उनमे ज़्यादातर  फर्ज़ी होते हैं ..........उन दिनों मेरी  पोस्टिंग मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में थी .....एक मित्र थे वकील .....सार दिन उनके चैम्बर में बैठकी होती थी .......उनके ज़्यादातर मुक़दमे रेप के ही थे .........मैंने पूछा ये क्या चक्कर है ....रेप के इतने केस .....वो हंस के बोले .......हाँ ....यहाँ सिर्फ रेप ही होता है .....दरअसल वहाँ के गावों में एक चीज़ बड़ी प्रचलित थी .....जिसे फ़साना हो .......जिससे हिसाब किताब बराबर करना हो उसे रेप में फसा दो .........कुछ नहीं तो साल 10 साल कचहरी के चक्कर तो मरेगा .........और लोगबाग वहाँ इंडिया गेट पे मरे जा रहे हैं ......फांसी दो ..........
                            दिल्ली में जो उस लड़की के साथ हुआ , ह्रदय विदारक था .....विभत्स था .........इसके लिए तो फांसी भी कम है .....पर मान लिया कि  कानून बन ही गया ....और जज ने फांसी लिख भी दी .....तो क्या गारंटी है ......प्रतिभा पाटिल जैसी कोई महा महिम माफ़ कर देगी .......जी हाँ , मोहतरमा जाते जाते 5 rapists को माफ़ कर गयी हैं ......उनमे दो तो ऐसे थे जिन्होंने एक जेल में सज़ा कटते हुए जेल के ही एक वार्डर की तीन साल की बच्ची का रेप के बाद मर्डर कर दिया था ........ फिर भी पता नहीं क्यों महामहिम को दया आ गयी ........
                            दिल्ली का एक बड़ा ही मजेदार और सच्चा  किस्सा है ........ पूना की एक महिला जो दिल्ली से माल ले जा के  बेचती थी ....उसने अपने एक wholesale supplier से दोस्ती कर ली ........फिर उसके मार्फ़त उसी  लाइन के तीन और से भी उसकी दोस्ती हो गयी .......धीरे धीरे उसने सबसे रिश्ते बना लिए .........साल छह महीने बाद उसने एक पार्टी दी ....... चारों को बुलाया ..........खूब मौज मस्ती हुई .......वो बोली यार ऐसे नहीं .......तुम चारों मुझे रेप करो .....मेरी तो ये fantasy है .......मेरे हाथ  पाँव  यूँ  bed से बाँध दो ........हाँ अब चारों मेरे कपडे फाड़ो ......मै रो गिडगिडा  के बोलूंगी .....प्लीज़ मुझे छोड़ दो ........ सुबह बेचारी  गरीब अबला  नारी सारे प्रूफ ले के थाने पहुँच गयी ..........लो जी हो गया रेप .....करो कार्यवाही .......वो चारों आये ....मामला  एक करोड़ में निपटा ........75 बेचारी गरीब अबला ले गयी ,  25 थानेदार  ...........जब वो चली गयी तो थानेदार बोला .....जाओ बेटा ....सस्ते में छूट  गए ......अगर वो मुझसे पहले मिल  लेती तो 4 करोड़ में पड़ते .........

                                                                                                                 CONTINUED ........







































Monday, December 10, 2012

Recipe.....How to make your child a criminal

                               1990 की बात है . दिल्ली में नेहरु स्टेडियम में नौकरी लगने के बमुश्किल तीन महीने बाद मैं अपनी नव विवाहित पत्नी और नवजात बेटे को ले कर और अपनी नवजात नौकरी को लात मार कर , और दिल्ली की चकाचौंध को छोड़ उत्तर प्रदेश के सुदूर गाजीपुर जिले में अपने गाँव चला आया था . जवानी का जोश था ! कुछ कर गुजरने का जज्बा था .गाँव में अपने घर के दो कमरों में ही स्कूल खोल दिया और लगे पढ़ाने .मुझे याद है , जून महीने की तपती दुपहर में एक महिला अपने पांच साल के बेटे को लादे आठ किलोमीटर दूर से आई थी . वो पहला स्टूडेंट था मेरे स्कूल का  . आशुतोष सिंह नाम था उसका . आज वो लड़का आर्मी में मेजर है . तब से आज तक हज़ारों बच्चे आये गए . कुछ भूल गए पर कुछ की याद आज भी ताज़ा है ज़ेहन में . एक और लड़का हुआ करता था .......... अमन प्रताप सिंह .........नन्हे कहते थे उसे .......... उस से पारिवारिक सम्बन्ध भी था . रोज़ का उठाना बैठना था . उसका बाप एक नंबर का फ्राडिया था ....... एक स्थानीय ट्रेक्टर एजेंसी का सेल्स मैन  था ...........  रोज़ कोई न कोई ठगी करता था ?............ मोहल्ले में रोज़ उसकी चर्चा होती थी . हर तीसरे दिन एक नया किस्सा सुनने को मिलता .........आज ह्रदय सिंह ने उसको फसाया .....आज  उसको ठगा .......आज उसे लूटा .........मेरे एक मित्र थे , उन्होंने मुझसे पूछा की अमां यार हम तो सुना करते थे  की काठ की हंडिया सिर्फ एक बार चढ़ा करती है . फिर ये साला रोज़ कैसे चढ़ा देता है ........ मैंने कहा भैया इसके पास काठ की हंडिया का स्टॉक है ......... साले के पास पूरा गोदाम है काठ की हंडिया का ........ रोज़ एक नयी चढ़ा देता है ........ बहरहाल दो लड़के थे ह्रदय सिंह के ........ बड़का ........बब्बू .....  इंटर  कर रहा था था . छोटा नन्हे मेरे पास पढता था .....कुछ सालों बाद उन्होंने उसे हमारे यहाँ से निकाल  के कहीं और डाल दिया ....फिर कुछ सालों बाद परिस्थितयां बदलीं . उस स्कूल में आगे चल के मेरे एक मित्र अजय बरनवाल जी पार्टनर हो गए ..........फिर कुछ और सालों बाद मैंने वो स्कूल अजय जी को बेच दिया और अपने परिवार सहित पंजाब चला आया . यहाँ मेरे बच्चे पढ़ते है और पहलवानी करते है ........... कुछ सालों बाद खबर मिली की ह्रदय सिंह के बड़े लड़के बब्बू सिंह ने आत्महत्या कर ली ............फिर आज से लगभग दो साल पहले खबर मिली की ह्रदय सिंह के छोटे लड़के नन्हे सिंह एक लूट कांड में जेल में बंद हैं ..........फिर दो महीने पहले सुनने में आया की किसी का मर्डर कर के फरार हैं .......... गत शनिवार को बड़ा ह्रदय विदारक समाचार मिला की मेरे प्यारे दोस्त अजय और उनके भाई विजय की लूट के बाद हत्या कर दी गयी ...........आज गूगल न्यूज़ पे विस्तार से पढ़ा की कैसे नन्हे सिंह सुपुत्र श्री ह्रदय नारायण सिंह निवासी मोहल्ला ठकुरहण  सैदपुर  जिला गाजीपुर उत्तरप्रदेश .......... अपने गैंग के सात अन्य सदस्यों के साथ पकड़ लिए गए हैं ......... और अजय जी  से  लूटी गयी गहनों की पेटी भी बरामद हो गयी है .
                                अब भी याद ही मुझे कैसे वो औरत अपने उस छोटे से बच्चे को लाद के आठ किलो मीटर दूर से ले कर आती थी . फिर दिन भर इंतजार करती और छुट्टी होने  के बाद शाम ढले वापस जाती  .......कई  साल ये सिलसिला चालता रहा . आज वो लाडका आशुतोष मेजर है . कल हो सकता  है  कि ब्रिगेडियर  या जनरल बन जाये ..........ये भी याद आता है कि ह्रिदय सिंघ ने कभी अपने बच्चों को मेहनत और इमानदारी की .....कभी अपने खून पसीने कि रोटी नही  खिलायी . कभी आचार विचार व्यवहार और संस्कार का पाठ नही पढाया . वो लाडका अमन प्रताप सिंह  भी बहुत होनहार था ......परंतु उसे हमेशा चोरी चकारी ठगी और लूट का ही माहौल मिला ....आज वो जेल में  है . कल  हो सकता  है कि  मौका पा के पुलिस encounter कर दे ........विष बेल पर  कडवे फळ ही लगा  करते हैं 











Saturday, December 8, 2012

Saavdhaan , up bihaar ban raha hai

                       जब भी गर्मियां आती हैं तो मेरी धर्म पत्नी को शरीर पे एक अजीब सा इन्फेक्शन हो जाता है . बड़ी परेशानी होती है .एक मित्र है डॉक्टर .उनसे पूछा आखिर माजरा क्या है . उन्होंने बताया की गर्मियों में बैक्टीरिया को अनुकूल माहौल मिलता है पनपने का ......गर्मी होती है , नमी होती है , सो फंगल इन्फेक्शन हो जाता है ......ये मलहम लगाओ , ठीक हो जायेगा .तो अपनी समझ में आया की ज़रा सा माहौल मिलते ही कमबख्त बैक्टीरिया पनप जाता है और साला कोढ़ हो जाता है ...........
                            कल शाम गाँव से बड़े भाई ने फोन किया ! बड़ा दिल दहला देने वाला समाचार था ? मेरे अभिन्न दोस्त  मेरे बिजनेस पार्टनर श्री अजय जी बरनवाल और उनके छोटे भाई विजय बरनवाल को दिन दहाड़े बदमाशों ने घर में घुसके गोली मार दी ,और गहनों की पेटी लूट ले गए . दोनों भाई सर्राफे की दूकान चलाते थे ? अजय जी की मौके पर मृत्यु हो गयी . विजय ने अस्पताल जाते हुए रास्ते में दम तोड़ दिया . चंद पलों में एक परिवार उजड़  गया . रोजाना सुनते पढ़ते हैं ऐसी घटनाएं अखबारों में हम लोग . पर जब खुद पे पड़ती है तो पता चलता है . मेरे जीवन में पहली बार मेरे अपने परिवार में ऐसी घटना हुई है . दिमाग सुन्न हो गया कुछ देर के लिए .समझ नहीं आया क्या प्रतिक्रिया दूं . आखिर हम लोग रोने के सिवा कर ही क्या सकते हैं , सो रो पीट के शांत हो गए . 
                      जब से मुलायम के बेटे ने कारोबार सम्हाला है यूपी में  , अपराध  बेतहाशा बढ़ गया है . नब्बे के दशक का वो ज़माना याद है मुझे ! कल्याण सिंह की सरकार थी . गुंडे बदमाश ऐसे गायब थे जैसे घर से रसोई गैस ? कोई गुंडा जोर से खांस भी नहीं सकता था .फिर जब नरसिम्हा राव  ने वो सरकार बर्खास्त कर दी ( बाबरी के चक्कर में ) . तीन साल मोतीलाल वोरा का राष्ट्रपति शासन चला .फिर आया समाजवाद . मुझे याद है वो शाम . दिनमें मुलायम ने शपथ ली थे और शाम को वो लाल जीप जो चार साल से थाने में सड़ रही थी ,एक स्थानीय माफिया की , वो धूलि पुंछी , चमचमाती  बाज़ार में घूम रही थी . सारे चोर बदमाश गुंडे माफिया रातों रात प्रकट हो गए .इतने साल कहाँ रहे ? पता चला की लालू के बिहार में जी खा रहे थे . जी हाँ , उन दिनों बिहार में लालू विराज रहे थे . अब मामला पलट गया है . बिहार में नितीश बाबु बैठे हैं  , डंडा ले के . सुनते हैं की वो कल्याण सिंह के भी बाप हैं . पीछे  से डाल के मुह से निकाल लेते हैं . सो बिहार से भाग के सब हमारे यहाँ UP में चले आये हैं ? UP  में  पिछले कुछ सालों से अल्लाह मियाँ की बड़ी रहमत है . मौसम अनुकूल है . सो बैक्टीरिया खूब पनप रहा है . माया मुलायम का मौसम है ........पिछले 10 -15 साल से . चोर बदमाशों की तो पहले ही कोई कमी नहीं थी ! अब बिहार वाले भी आ गए हैं ....आज मेरठ में स्कूली लौंडों ने दरोगा को गोली मार दी है .......देखिये कल क्या होता है ............अपन ने सात साल पहले up छोड़ दिया था . अब पंजाब में रहते हैं . पिछले महीने बिहार जाने का मौकामिला था ? वहाँ दूर दराज़ के गावों में घूमे . सड़के और कानून व्यवस्था देख के मन प्रसन्न हो  गया . दो हफ्ते पहले ही की तो बात है . मैं अजय बरनवाल जी के साथ बैठा  गप्पें मार रहा था . मैंने उन्हें बिहार का हाल सुनाया . फिर कहा की बिहार बड़ी तेजी से गुजरात बन रहा है , और UP  बड़ी तेजी से लालू का बिहार बन रहा है . 
             आज अजय जी हमारे बीच नहीं हैं ........... कल शाम उनके नंबर पे फोन लगाया था तो पीछे से अम्बुलेंस के सायरन की चीत्कार सुनायी दी ...........फिर रात को लगाया तो औरतों का विलाप था .......... आज सुबह लगाया तो सिर्फ सन्नाटा था .......... अब अजय बरनवाल से कभी बात न होगी ..........
                     

Saturday, November 24, 2012

ईमान मचा दूंगा..........आलोक पुराणिक



फेस बुक पे  अलोक पुराणिक साहब का ये  लेख पढ़ा .........  अच्छा लगा ....... सो बिना उनकी आज्ञा permission के यहाँ चेप रहा हूँ . लीजिये मज़ा लीजिये  

                                       यूपी में एक अदालत ने बहुत ही, मतलब बहुत बहुत वरिष्ठ आईएएस अफसरों को करप्शन का दोषी ठहराया।

                                        मतलब नोएडा में मन मरजी से प्लाट काटने-बांटने तक को करप्शन माना जाने लगे, तो साहब सिस्टम तो ध्वस्त हो जायेगा। अफसरों में बड़ा खौफ है, वो काम नहीं कर पा रहे हैं-एक सीनियर आईएएस आफीसर मुझे समझा रहे थे।

                                        सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा साहब, अगर अफसर ईमान पर उतर आये। विद्वान पाठकों ने देखी- सुनी होगी एक टर्म-वर्क टू रुल। यूं इसका मतलब है नियम के हिसाब से काम, पर साहबान इसे लगभग काम ठप करना, लगभग हड़ताल माना जाता है। सरकारी बंदे अगर नियम से, ईमान से काम करने पे उतर आयें, तो सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा।

                                        एक बार एक सरकारी अफसर से मुझे कुछ कागजों पर साइन कराने थे। अफसर इस बात पे नाराज था कि उसका बास मेरा पुराना परिचित निकल आया, सो उसे रिश्वत मांगने में शर्म सी आ रही थी। मैंने कहा साइन करें, तो वह बोला -नियम के मुताबिक मेरा काम साइन करना है, पेन खोलना मेरी जिम्मेदारी में नहीं है। नियम के हिसाब से चलूंगा, पेन नहीं खोलूंगा। मैंने निवेदन किया- लाइये मैं खोल दूं पेन। वह और नाराज, बोला-सरकारी संपत्ति के साथ छेड़छाड़। नहीं, नहीं खोल सकते। मैंने मामले की नजाकत को समझा, कुछ भेंट-नजराना हुआ। तब उसने नियम-ईमान को फ्लेक्सिबल किया, और काम हुआ। वह कुछ लेने से इनकार किये रहता, फुल ईमान मचाये रहता, तो मेरा काम तो ना होना था।

                                      तमाम सरकारी दफ्तरों में बंदे खरीदारी करने से हिचक रहे हैं, खरीद में नार्मल कट कमीशन भी खा लिया, तो धरपकड़ हो जायेगी। और अगर नार्मल कमीशन भी ना खा पायें, तो कुछ खरीदें ही क्यों। ऐसे तो सिस्टम ध्वस्त हो जायेगा।

                                     समझदार जानते हैं, बेईमानी के तेल से सिस्टम के पहिये चकाचक चलते हैं, ईमान पड़ जाये उसमें, तो जाम हो जाते हैं। आइये, अफसरों को आश्वस्त करें -हम आपके साथ हैं, सिस्टम ध्वस्त नहीं होने देंगे।


                                    काटिये, प्लीज काटिये राष्ट्रहित में, सिस्टम हित में अपनी बेटी और दामादों के नाम आठ दस प्लाट।

                         उठो हे अफसर, चलो, प्लाट बांटो, नोट काटो।

Saturday, July 21, 2012

गुवाहाटी से मानेसर तक ....बंटाधार

                                            पिछले पखवाड़े देश में ऐसी दो घटनाएं हुई हैं जिन्होंने एक आम हिन्दुस्तानी को शर्मसार कर दिया है ....पहली घटना गुवाहाटी की  है जहां 30 -40 गुंडे सरेआम एक लड़की पे टूट पड़ते हैं ....और ये दुस्साहसिक तमाशा पूरे 40 मिनट तक चलता रहता है ......सैकड़ों लोग तमाशा देखते रहते हैं ......या बस यूँ ही बगल से गुज़र जाते हैं .....या फिर अपने मोबाइल फोन्स पर उस मजेदार नाटक को शूट करने लगते हैं जिससे वो उसे facebook और you tube पर अपलोड कर सकें . इसमें सबसे ज्यादा चिंता जनक प्रश्न  ये है की उन गुंडों का दुस्साहस किस हद तक बढ़ा हुआ था और तमाशबीनों का ज़मीर और पौरुष किस हद तक मरा हुआ  था ........दूसरी घटना गुडगाँव के नज़दीक मानेसर की है जहां देश की सबसे प्रतिष्ठित और सफलतम आटोमोबाइल कम्पनी के मजदूरों ने अपनी कम्पनी के अधिकारियों को सुनियोजित ढंग से दौड़ा दौड़ा के मारा ........हाथ पैर तोड़ दिए .....जिंदा जला दिया और अपने  उस प्लांट  को आग लगा दी , जहां से उनके परिवार का चूल्हा जलता है ........... नतीजतन प्लांट पिछले 5 दिन से बंद है , उत्पादन ठप्प है , कम्पनी को प्रतिदिन 60 करोड़ का घाटा हो रहा है , कम्पनी के शयेर 9 % गिर गए हैं और पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा धूल धूसरित हो रही है .  गुवाहाटी की घटना से पता चलता है की शहर का गुंडा तत्व इस हद तक बेख़ौफ़ और बेलगाम हो गया  था की उसे प्रशासन , पुलिस और कानून का कोई भय ही नहीं रह गया था ...........बनारस के मशहूर लोक कवि श्री कृष्ण तिवारी की पंक्तियाँ है ............
भीलों ने लूट लिए बन ,
राजा को खबर तक नहीं .........
रानी हुई बदचलन ,
राजा को खबर तक नहीं ........
                                               हमारे कसबे में एक कोतवाल हुआ करता था . मनचले लड़कों को दौड़ा दौड़ा के पीटता था , फिर उठा के हवालात में बंद कर देता था . उसके बाद उसके बाप और चाचा ताऊ सबको थाने बुलवा कर सरे आम बेईज्ज़त करता था ......... ज़रुरत पड़ने पे 2 -4 हाथ लगा भी देता था . 15 दिन के अन्दर पूरे इलाके में उसका इतना खौफ हो गया की सब लोग शुद्ध हो गए .यूँ आज का मीडिया तो इस बात पे आसमान सर पे उठा लेगा ....मानवाधिकारों की दुहाई देने लगेगा ............ बात 1990 की  है .  उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह नए नए मुख्य मंत्री बने थे . पूर्व वर्ती मुख्य मंत्री मुलायम सिंह ने प्रदेश का वो हाल बना रखा था जो लालू ने बिहार का बनाया था .गुंडे माफिया parallel government चलाते थे .  कल्याण सिंह ने आते ही सबसे पहला काम जो किया वो कानून व्यवस्था को सुधारा .........डंडे से .......लात जूते से ....... और देखते ही देखते गुंडे ऐसे गायब हुए की कई साल दिखाए न दिए .फिर उसके बाद पुनः माया और मुलायम , अखिलेश ने ऐसा भट्ठा बिठाया की अब भगवान् ही मालिक है . कहने का तात्पर्य ये है की अगर पोलिटिकल लीडरशिप में इच्छा शक्ति हो तो सबको 3 दिन में सुधार सकती है .या फिर तीन दिन में ही बेडा गर्क कर सकती है
  अब  बात मारुती सुजुकी के  मानेसर प्लांट की ......तो वहाँ पिछले कई साल से मजदूरों और मैनेजमेंट में टकराव चल रहा है ........... पूर्व में कई बार हड़ताल और ताले बंदी हो चुकी है ........पर इससे न तो कम्पनी प्रबंधन ने कोई सबक सीखा और न ही सरकार ने ..........शताब्दियों पुराने श्रम कानून  अभी तक चल रहे हैं .........समय रहते उनमे सुधार नहीं लाया गया .............पूरा उद्योग जगत त्रस्त है .......अब आज जब सब कुछ दाव पे लग गया है तो सरकार के होश उड़े हुए हैं ........... पूरे विश्व में उद्योग जगत ये सोच रहा है की क्या वाकई भारत निवेश  करने योग्य सुरक्षित जगह है  ??????  कल को कौन उठ के आपकी मिल में आग लगा देगा कौन जाने ........और जब पूछोगे के भैया क्यों आग लगा दी ......तो जवाब मिलेगा की supervisor ने हमको जाती सूचक गाली दिया था ..........अब बेचारे , मारुती के  CEO Shinzo Nakanishi सर पे हाथ रख के ये सोच रहे होंगे की ये कमबख्त जातिवाद क्या होता है और इसका SWIFT कार से क्या सम्बन्ध है .........और अब वो दिन भी दूर नहीं है जब माया , मुलायम ,लालू ,पासवान और नितीश भी इसमें जातिवाद का एंगल  घुसा के बयान बाजी  शुरू कर दें .........की ये मारुती सुजुकी तो दलित विरोधी है .........
                                           उसपे आज एक नयी खबर ये आयी है की अपने ............ महा साम्प्रदायिक........... मुस्लिम भक्षक ........... मुख्य मंत्री ए गुजरात ........... वहाँ जापान पहुँच गए हैं ........सुनते हैं की वहाँ सुजुकी के प्रबंधन से मिल के ये समझायेंगे की ............कहाँ पड़े हो हरियाणा में .....जूते खा रहे हो ........अमां यार गुजरात आ जाओ ..........इधर TV पे बस दिग्विजय सिंह प्रकट होने ही वाले हैं .......... ये RSS की साज़िश है .....इस हिंसा के पीछे मोदी का हाथ है ... ......मनमोहन सिंह और हुड्डा को बदनाम करने की साज़िश है .........मारुती के GM को मारने वाले गुंडे तो बाबा रामदेव ने सप्लाई किए थे .........साज़िश वहाँ हरिद्वार में बनी थी ...........जल्दी ही सोनिया जी , राहुल बाबा और प्रियंका जी के बच्चे कोई हल निकालेंगे ...........दरअसल हमारे मुल्क में गंभीर समस्याओं को हल करने के यही तरीके अपनाए जाते हैं .........रोम जल रहा है .....मनमोहन सिंह बांसुरी बजा रहे हैं .
इन दोनों घटनाओं ने एक प्रश्न ये खड़ा किया है की क्या हमारे राष्ट्रीय चरित्र  में कोई खोट आ गया है .......और इस चारित्रिक गिरावट के लिए आखिर कौन जिम्मेवार है ...........क्या हमारे देश की political और social leadership अपनी जिम्मेवारियों का वहन सही ढंग से कर रहे हैं ..........देश के नेता और परिवारों में बुज़ुर्ग क्या बच्चों को सही संस्कार दे पा रहे हैं ??????  क्या हमारे institutions हमारी उम्मीदों पे खरे उतर रहे हैं .........एक संस्था के रूप में इस चारित्रिक पतन के लिए मीडिया कितना दोषी है  ????????? क्या हमारा education system देश में अच्छे नागरिक तैयार कर पा रहा है ????????  एक संस्था के रूप में न्याय पालिका का कोई सम्मान या डर समाज   में है  ????????  क्या हमारे देश में कोई कार्य संस्कृति ( work culture ) नाम की  चीज़ है ??????

देश सवाल पूछ रहा है .....हमें जवाब चाहिए ......



Thursday, July 19, 2012

भारत का प्रधान मंत्री है या सोनिया गांधी का कुत्ता ..........

                                        कांग्रेस में चिहाड़ मची है .ये अमरीकी तो साले हैं ही बदतमीज लोग .बेचारा सीधा सादा सा आदमी है .गऊ जैसा .कोई time magazine है इन साले अमरीकियों की .सुनते है की उसने कहीं अपने मुखपृष्ठ पे अपने सीधे सादे परधान  मंतरी  की फोटो छाप के उसके आगे लिख दिया under achiever .अब हिन्दुस्तान में तो जुमा जुमा चार लोगों को अंग्रेजी आती है सो ज्यादा लोग तो अंडर अचिएवर का मतलब ही नहीं जानते .......सो हुआ यूँ की मैं पिछले हफ्ते अपने गाँव में टीवी पे खबरें सुन रहा था और TV पे जूतम पैजार चल रही थी .....क्यों कह दिया , कैसे कह दिया अंडर  ऐचीभर  ......और मेरे बगल में हमारे एक भाई बैठे थे सो उन्होंने बस यूँ ही पूछ लिया .....ई अंडर ऐचीभर का होता है ..... अब मैं भला उनको क्या समझाता की अंडर ऐचीभर क्या होता है ......सो मैंने कहा की मान लो कौनो लड़का परीछा में कम नंबर ले तो ओका अंडर ऐचीभर कहा जाई ......ई सरवा मनमोहना कौन परीक्षा में फ़ैल हो गया जी .........इ ता सुने में आवत रहा की बहुत तेज बाटे .......मैंने कहा अरे भैया पढ़ाई लिखाए में तेज होना अलग बात होता है और देश चलाना अलग बात होता है ..........यी सरवा देश चलावे में फेल हुई गवा है ....... इस पे वो भैया बोल उठे ....ओह्ह अब समझा खांटी भोजपुरी में ई अंडर ऐचीभर का मतलब होत है .....बकलोल .......बकचोद ......बुरबक .......लडबक.....या फिर और ज्यादा सरल भाषा में कहा जाए तो .......चूतिया ........... इस पे  मैंने उन्हें कहा की देखो भैया , प्राइवेट  बात चीत में तो हम कुछ भी कह सकते है पर सभ्य समाज में तो सम्हाल के लिखना बोलना पड़ता है न इसलिए अंडर अचीभर कह के काम चला लिया जाता है  . मैंने इतना कह के किसी तरह बात ख़तम की .
                                             अभी जुमा जुमा चार दिन भी न बीते थे की कोढ़ में खाज हो गयी ..........अमरीकी तो साले शुरू से ही बदतमीज रहे हैं , पर ये अंग्रेज बड़े सभ्य माने जाते हैं .पर इन सालों ने तो और भी हद कर दी .........कोई अखबार  है लन्दन का ....The Independent  .........उसने कही लिख दिया है अपने सीधे सादे , गाय जैसे पड्धान मंतड़ी के बारे में .......लिखा है की ई सरवा भारत का प्रधान मंत्री है या सोनिया गांधी का कुत्ता ..........Saviour or Sonia's poodle, asks UK paper about PM Manmohan Singh...उस दिन मैं फिर TV देख रहा था . वही भाई साहब फिर आन धमके ....टीवी पे फिर चिहाड़ मची थी . उन्होंने बड़े ही भोले पन से पूछ लिया की ई पूडल का होता है .....मैंने उन्हें बताया की एक ठो अंग्रेजी कुक्कुर होता है .....छोटा सा होता है ...उसका सब लम्बा लम्बा बाल होता है पूरा देह पर .......बहुत प्यारा होता है ...उसको सब अंग्रेज औरत लोग पालती हैं ....गोद में बैठा के प्यार करती हैं .......उनकी जिज्ञासा कुछ शांत हुई .पर TV पे तो चिहाड़ मची थी .थोड़ी देर सुनते रहे ...फिर बोले ......ई सोनिया गांधी भी ऊ छोटका कुक्कुर पाली हैं क्या ?????? लगता है हेरा गया है ........ई सब लोग बहुत परेशान हो रहा है ........दरअसल परेशान तो मैं हो गया था उनकी टोका टाकी से सो मैंने खीज कर TV बंद कर दिया और लगा उनको तफसील से समझाने की कुत्ता वुत्ता नहीं पाली हैं ....कैसे उस अंग्रेजी अखबार ने हमारे प्रधान मंत्री को सोनिया गाँधी का कुत्ता लिख दिया है .........इतना सुन के भैया सीरिअस  हो गए . बरसों से सोया  उनका स्वाभिमान भी शायद  जाग उठा ......कहने लगे ...... यार अच्छा ख़ासा पढ़ा लिखा शरीफ आदमी है ....क्यों इस कदर बेज्ज़ती करवा रहा है ....अपनी और सारे मुल्क की .....भरी दुनिया में .......
उस सीधे सादे हिन्दुस्तानी के इस मासूम से प्रश्न का मेरे पास कोई जवाब न था ........
                      सो मैंने फिर टीवी चला दिया और फिल्म देखने लगा .....जाने भी दो यारों ......

Wednesday, July 18, 2012

दारा सिंह ....बेहतरीन इंसान , फर्जी पहलवान


   दोस्तों , दारा सिंह जी का पिछले हफ्ते स्वर्गवास हो गया . पूरा देश सुनते हैं की गम में डूबा है ..........लोग श्रद्धांजलियां दे रहे है . सुनने में आया है की बहुत बढ़िया इंसान थे . ज़रूर रहे होंगे . अब इतने सारे लोग कह रहे हैं तो रहे ही होंगे . पर लोग ये भी कह रहे हैं की बहुत बढ़िया  पहलवान थे ..........5 बार विश्व चैम्पियन बने . एक बार common  wealth champion  बने . सारा मीडिया लिख रहा है ....बड़े बड़े खेल विशेषज्ञ कह रहे हैं ..........यहाँ तक की जो सचमुच के पहलवान है वो भी कह रहे हैं ........ हद तो यहाँ हो जाती है की हमारे मुल्क में general knowledge की किताबों और physical education की text books  में भी कुश्ती के मशहूर खिलाड़ियों में सबसे पहले उनका नाम लिया जाता है .......     अब यहाँ हम अपनी टांग फसा रहे हैं ......एक qualified  professional    wrestling  coach होने के नाते मैं ये दावे के साथ कह सकता हूँ की वो कतई  पहलवान नहीं थे  . मैंने आज तक कमबख्त एक भी आदमी नहीं  देखा जो गुल्ली   डंडे और किरकेट में confuse हो जाए .......गाँव के अदना से हल जोतने वाले को भी आजकल पता है की साले ने fultoss फेंक कर छक्का  मरवा दिया लास्ट बल पर .........और मैंने आज तक नहीं देखा की गुल्ली डंडे का कोई प्लयेर महान cricketer कहलाया हो ............यहाँ सारी दुनिया दारा सिंह को महानतम पहलवान बता रही है ........देखो भैया जितनी पहलवानी दारा सिंह ने की उतनी तो सचिन तेंदुलकर और उनके भाई ने भी की है ....सुनते हैं की एक बार सचिन ने अपने भाई को bed  से धकिया दिया था और वो नीचे गिर गया था और सचिन उसकी छाती पर चढ़ गए थे ....लो जी  हो गए सचिन तेंदुलकर एक महान पहलवान ...और ये सतपाल , करतार , उदय चंद ,जगमिंदर , सुशील , रमेश ,योगेश्वर दत्त ये सब घास छील रहे थे इतने दिन .
                                      देखो भैया ये जो टीवी पे आती है  WWF की fight , इसपे ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है   . ये तो एक फ़िल्मी लड़ाई होती है ....जैसे वीरू ने गब्बर को दे मारा , गब्बर ने ठाकुर के हाथ काट लिए और जय ने बीस गुंडों की पिटाई कर दी और बसन्ती एक पहिये पे तांगा भगा ले गयी .....मज़ा  गया .....पैसा वसूल ......पर भैया ये जो पहलवानी होती है  .....wrestling कहते हैं जिसे , ये एक olympic स्पोर्ट्स है ....दो तरह की होती है .....free style और greco रोमन....... इसे कहते हैं पहलवानी .....20 -20 साल लगे रहते हैं लड़के ......दिन रात पसीना बहाते हैं .....खून जलाते हैं ........8 -8 घंटे रियाज़ करते हैं फिर भी national champion बनने के लिए तरस जाते हैं ......कमबख्त 100 साल की पहलवानी में आज तक हिन्दुस्तान के सिर्फ 4 पहलवान world लेवल पे यानी olympic और world championship में मेडल जीत पाए , जबकि लाखो लड़कों ने इसके लिए मेहनत की , उसमे से ये चार champion बने ......बाकी सबका अपने अपने स्तर पर कुश्ती के विकास में योगदान रहा .......अब किसी ने अपने गाँव में भी अगर पहलवानी की और सारी जिंदगी अगर अपने गाँव में भी first नहीं आया , तो भी एक पहलवान होने के नाते हम उसका अभिनन्दन करते हैं ....उसने अपने स्तर पर कुश्ती की इस महान परंपरा को आगे बढाने में अपना योगदान दिया .....साधुवाद .......दारा सिंह ने भी बचपन में अपने गाँव में पहलवानी की .......बहुत बढ़िया .....शरीर अच्छा था .......मेहनत भी की पर असली पहलवानी में कामयाबी नहीं मिली ........अगर आप उस ज़माने के पहलवानों से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा की उस समय के तगड़े पहलवानों की एक टांग की भी जोड़ कभी नहीं हुए दारा सिंह ......फिर वो बहुत जल्दी फर्जी ....... फिल्मी ....... WWF तमाशे से जुड़ गए .....फिल्मों में चले गए ......अब रामायण में हनुमान का रोल दारा सिंह नहीं करेंगे तो क्या राजू श्रीवास्तव करेंगे ..........
                             रही बात उनके world champion बनने की .........तो ऐसे पंजाब केसरी , हिंद केसरी और world champion तो हम लोग रोज़ बनाते हैं आजकल यहाँ दंगलों में ..........10 मिनट ढोल बजाओ तो हज़ार दो हज़ार लोग जुट जाते हैं सड़क के किनारे , किसी मैदान में ..........10 - 20 पहलवान .....एक पंजाब केसरी और एक रुस्तमे पाकिस्तान .....लो जी पंजाब केसरी ने पाकिस्तान के रुस्तम को पटक दिया .....हो गयी बल्ले बल्ले पहलवान भी खुश ....पुब्लिक भी खुश .......फ्री में पाकिस्तान के रुस्तम की कुश्ती देखी ........मज़ा  गया ......हमारा भी लड़का रुस्तमे पाकिस्तान ........अब किसको पता की king kong कहाँ का world champion और किसने कराई world championship  .............world championship न हुई कलकत्ते का रसगुल्ला हो गया ....उठाये और दो मुह में डाल लिए ........
                             एक बेहतरीन इंसान के रूप में दारा सिंह जी ने एक बेहतरीन ज़िन्दगी जी , और पूरे देश के लोगों का प्यार हासिल किया .....आज उनके स्वर्गवास पे अगर हम उन्हें सिर्फ एक अच्छे इंसान और एक अच्छे कलाकार के ही रूप में याद कर लें तो कोई बेजा बात नहीं है .........मीडिया और लोगों द्वारा उन्हें बेवजह एक चैम्पियन   पहलवान के रूप में प्रस्तुत करने पर ही मेरी आपत्ति है ........